दिलों में जिनके हूं अब तक दिलों में उनको रखूंगा
न निकलूंगा कभी दिल से निकलने उनको ना दूंगा
चुराया दिल मेरा जिसने उसी का दिल चुराऊगा
सदा ही दिल में रख कर के उन्हें अपना बनाऊंगा
लगी गर ठेस दिल में तो उसे दिल से निकालूगा
दिलों में रोशनी भर कर अंधेरे को भगाऊगा
चुभे खंजर जो आंखों से उसे दिल में उतारूगा
सदा ही दिल को समझा कर सभी उलझन मिटाऊगा
उमड़ता भाव दिल में जो भले ही कह ना पाऊंगा
मगर भावो में खोकरके सदा उनको बताऊंगा
मिलाकर मन से ही मन को दिलों से दिल मिलाऊगा
दिलों में प्रेम पनपे जिससे वो बातें सिखाऊंगा
परख दिल से करे गर वो तो मैं सब कुछ दिखाऊंगा
दिलों में क्या छुपा है राज मैं खुलकर बताऊंगा
जो विकृतियां भरी मन में उसे बाहर निकालूंगा
पतित पावन जो कर जाए तो गंगाजल बनाऊंगा
सदा जो मान देते हैं मैं उनका मान रखूंगा
बसाकर के उन्हें दिल में सदा भगवान मानूगा
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