तेरे आगोश में ज़िस्म जलता रहा
मौत की राह पर मै तो चलता रहा
तेरे यौवन की आतिश को छू छू के मैं
मोम जैसा हमेशा पिघलता रहा
तू मेरे हाल पर मुस्कराती रही
दम मेरा हौले हौले निकलता रहा
तेरी मदहोशी की चाह में मेरा तो
दिल हलक तक बराबर उछलता रहा
तेरी बेसब्री की चाल ही थी गजब
अपनी जानिब से मैं तो सम्हलता रहा
चाह कर भी तुझे मैं न पाया बदल
द्वंद ही दरम्याँ अपने पलता रहा
राज मर्जी पे तेरी चला उम्र भर
दौड़ती तू रही मैं फिसलता रहा
देखे जाने की संख्या : 369