प्रेम ही ईश्वर है।

वो प्रेम जिस में निस्वार्थ का भाव हो,

दया हो, करुणा हो, 

जीवन के लिए उत्शाह हो।

वो प्रेम जो ज़िन्दगी देना सिखाती हो,

लोगों को हसना, मुस्कुराना सिखाती हो,

किसी भी उम्र में, जीवन के किसी भी पड़ाव में,

लड़ना, जितना सिखाती हो।

प्रेम, धरती पर उगती हुई नई कोमल पंखुड़ी सी,

जो धरा पर जीवन का प्रतीक बन खुशियां फैलाती हो।

प्रेम, जो लोगों के, जीवों के, दुःख, दर्द को, 

उसी सम-रुप भाव से समझे, जैसे वो उसकी आपबीती हो।

प्रेम, वो ईश्वर है, जो मनुष्य के जन्म को सार्थक बनाती हो,

प्रेम, वो पूजा है, जिस से इंसान शुद्ध हो जाता है।

प्रेम में वो मिठास है, जो जीवन को सुकून से भर देती है,

प्रेम वो मोक्ष है, जो जीवन को हर दुःख से मुक्त कर देती है।

मेरे मन कि बात।

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2 Comments

  • Poonam Goonja February 18, 2023

    Thanq 🙏

    • डॉ दिवाकर चौधरी February 18, 2023

      आपका स्वागत है।

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रचनाकार

Author

  • पूनम गूँजा

    जगन्नाथ पूरी, ओड़िशा, Copyright@पूनम गूँजा/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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