ओ लौट आए हैं मेरे दिल में
जो कहते तुझ में वफा नहीं है
पलट के मैंने भी कह दिया अब
दिलों में मेरे जगह नहीं है
बसा लिया हूं दिलो में जिसको
अब उससे कोई गिला नहीं है
रहे भले ही वो दूर मुझसे
है मेरी पर बेवफा नहीं है
जो भावो में डूब ना सका हो
मैं कैसे कह दूं मरा नहीं है
भले अश्क ये सूख गए हैं
घाव दिलों का भरा नहीं है
किसी को तड़पाना मुद्दतों से
कहोगे कैसे खता नहीं है
दिल अब ये मेरा तो टूटे कैसे
ओ पास में है जुदा नहीं है
जो दिल को मेरे सदा सजोया
कहूं मैं कैसे खुदा नहीं है
बसाऊं किसको मैं अपने दिल में
कोई तो उनसा सगा नहीं है
सदा ही झूमू मै जिस में खोकर
कहूं मैं कैसे नशा नहीं है
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