प्रतिभा संग नैतिकता हो

परिवर्तन हो सुखद सादगी परख गुणो की व्यापकता
यश फैले उत्कर्ष लेखनी प्रतिभा संग हो नैतिकता
प्राप्त करें संसार सदा ही जो कृति गुण परिचायक हो
सदा जुड़ा जो प्रेम दिलों का नैतिक गुण आधारित हो
सत्य भावना स्थाई सौंदर्य प्रेम की जागृति हो
साहस सहनशक्ति आक्रामक ह्रदय वेदना पावक हो
नित नए कपोल खिले उपवन मे शुष्क ह्रिदय की धरती हो
गरिमा सुचिता का ध्यान रहे मन उगा भाव का सूरज हो
ज्ञान की ज्योति जले निशदिन मन निडर और सिर ऊचा हो
शबनम सी शीतलता आए हृदय बना ओ शोला हो
भड़के चिंगारी देश प्रेम की दिल में जगी भावना हो
अथक प्रयास करें जिससे मंजिल लक्ष्य पूर्णता हो
विवेक जहां पुष्पित पल्लवित विश्वास जहां पर पलता हो
पथ चलते पद चिन्हों को सद राह से इंगित करता हो
हे परमपिता तुम स्वर्ग बनाना ऐसी निर्मल धरती को
जहां हर मानव के मन में सद्भाव सदा ही उमडता हो

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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