पुस्तक-“उठापटक”
समीक्षक- अतुल्य खरे
लेखक-प्रभु दयाल खट्टर
शारदा पब्लिकेशन, दिल्ली.
साहित्य की विभिन्न विधाओं से सम्बद्ध रहते हुए, दूरदर्शन तथा राष्ट्रिय अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् में लगभग 35 वर्षों तक सेवाएँ देने के साथ साथ प्रभु दयाल खट्टर जी ने साहित्य सृजन में भी अपना अमूल्य रचनात्मक योगदान देकर हर साहित्यिक विधा में रचना की । समय समय पर उनके विभिन्न लघुकथा संग्रह , काव्य संग्रह प्रकशित हुए ।
18 कहानियों का यह संग्रह “उठा पटक” अत्यंत सरल एवं हृदयगम्य शैली में सुंदर वाक्यांश तथा सहज वाक्यविन्यास में नारी से जुड़े कई मुद्दे उठाता है, कहीं वह अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही नज़र आती है तो कहीं अपने पर हो रहे ज़ुल्मों के खिलाफ दृढता से लडती हुयी.
विषय भी ऐसे चुने गए हैं जिन पर आमतौर पर बहुत नहीं लिखा जाता अथवा जो लिखा जाता है वह भीं इतनी दुरूह एवं क्लिष्ठ भाषा शैली में होता है की आम आदमी की पहुँच से बहुत दूर हो जाता है . नारी जीवन के विभिन्न आयामों पर बहुत ही सरल भाषा शैली में अपनी बात कह गए है . कहानियां लघु कथा से बढ़ी है पर फिर भी उन्हें छोटी ही कहना अधिक उचित होगा. समीक्षा में उनके पात्रों एवं घटना क्रम पर कुछ अधिक कहने से कहानी ही खुलकर सामने आने का अंदेशा है जिसके चलते सिर्फ कहानी की विषयवस्तु एवं उनके प्रस्तुतीकरण पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया गया है, मूलतः सभी कहानिया नारी जीवन के विभिन्न पहलुओं को सामने लाती हुयी एवं दिल्ली की पृष्टभूमि से है सो पात्रों की बोलचाल में वहां का प्रभाव दिखता है. आम तौर पर पारिवारिक या चुनिन्दा रिश्तों पर ही लिखा गया है।
“शुभकामना” दहेज़ पर केन्द्रित कहानी है . जब कोई व्यक्ति लीक से हट कर चलने की कोशिश करे भले ही उसके पीछे मंतव्य नेकि एवं बुराई को दूर करने का हो पर उसे ज़माने में शक भरी निगाहों से ही देखा जाता है. इस रूढी या बुराई को उखाड फेकने के संकल्प के पीछे क्या कारण थे उन्हेँ रोचक प्रस्तुतीकरण के संग सामने लाया गया है .
वहीं कहानी “त्यागपत्र” के जरिये महिलाओं की समाज में भागीदरी को पुरुषों के समकक्ष रख कर देखने की समझाइश दी गयी है . लड़की घर की चार दीवारी में रहे और यदि बाहर जाये भी तो उसके लिए समाज द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन करे जैसी दकियानूसी सोच पर तीखा एवं सशक्त प्रहार है.
एक और कहानी ‘मौसी आई लव यू’ में भी नारी के अंतर्द्वंद , उसकी मानसिक उद्द्वेलना का सुन्दर वर्णन है और कैसे एक बच्चे का भोलापन उसका दिल जीत कर उसको जीवन में आगे बढ़ने हेतु नया संबल प्रदान करता है बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया गया है .
वैसे ही कहानी “दंड” में नारी सशक्तिकरण की मिसाल दिखाते हुए नारी का दिल के बजाये दिमाग से लड़ने और बुराई को हराने के विषय में है. “इन्द्रधनुष” एक ऐसी कहानी है जिसमें सच्चे प्यार को दर्शाने हेतु पात्रों का खूब सूरत इस्तेमाल किया है. समर जो की शिखा को प्यार करता है शिखा के पिता द्वारा नकार दिए जाने पर उस से दूर हो जाता है किन्तु घटनाएँ कुछ ऐसे मोड़ लेती है , परिस्थितियां ऐसी बनती है की वे , एक बार फिर सामने आ जाते है किन्तु तब शिखा का फैसला और अपने पहले प्यार को दिया गया तोहफा वाकई खूबसूरत एवं प्रशंसनीय है.
ऐसे ही एक कहानी “जय सोमनाथ” में बेटियों के सपने पूरे करने के लिए पालक कैसे कैसे कष्ट उठाते है और बेटियों के सपने पूरे करते हैं उन तमाम घटनाओं का सुन्दर वर्णन है .
वहीँ “कन्यादान” दो ऐसे मित्रों की कहानी है जो बचपन में एक दूसरे पर जान छिडकते थे एवं बहुत वर्षों बाद अचानक मुलाकात होने पर घटनाक्रम मोड़ ले लेता है इस कहानी में भी विषम परिस्थितियों में नारी की दृढ इक्षाशक्ति और उसकी मेहनत की शानदार मिसाल पेश की गयी है
सेल्स गर्ल एक ऐसी युवति की कहानी है जो अपने पर हो रहे ज़ुल्मों के खिलाफ उठ खड़ी होती है एवं अंततः विजयी होती है .
वही “तलाक” भी एक ऐसी ही युवति की कहानी है जिसे कन्या जनने पर घर छोड़ना पड़ता है किन्तु वह भी बिना झुके अपनी और अपनी बेटी के स्वाभिमान की रक्षा करती है . अन्ततोगत्वा यह कहना सर्वोपयुक्त होगा कि वरिष्ट लेखक खूबसूरती से कथानकों को प्रस्तुत करने में सफल हुये है . कहानियों को जैसा मैंने समझा समीक्षा के रूप में प्रस्तुत है,शेष गुणी पाठक जन स्वयं पढ़ कर निर्णय लें , किन्तु पढ़ें अवश्य.
सादर,
अतुल्य
उज्जैन मध्य प्रदेश
14 मार्च .2023