पुस्तक समीक्षा-अश्वात्मा का अभिशाप

पुस्तक- अश्वात्मा का अभिशाप

लेखक-एम आई राजस्वी

प्रकाशक- Fingerprint Publication

महान क्रांतिवीरों सुखदेव , विपिन चंद्र , अशफाक उल्लाह खान महाराणा सांगा एवं सुविख्यात कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जैसी महान शख्शियतों पर पुस्तकें लिखने वाले एवं हिंदी साहित्य को उच्च कोटि की अन्य बेशुमार रचनाएं देने वाले प्रख्यात, कलम के जादूगर एम आई राजस्वी एक स्थापित कलमकार है एवं लेखन में पाठक के मस्तिष्क को अपने नियंत्रण में करने की कला से बखूबी वाकिफ़ हैं ।

प्रारम्भ से ही इस पुस्तक की समीक्षा मेरे लिए अत्यंत दुरूह कार्य लगा क्योंकि तथ्यों का स्वल्प प्रकटीकरण मात्र पाठक का रोमांच समाप्त कर सकता है मुझे उस रोमांच को बरकरार रखते हुए अपनी बात भी रखनी है ।

समीक्षाधीन पुस्तक, ‘अश्वथामा का अभिशाप में’ राजस्वी जी ने पौराणिकता एवं आधुनिकता का अकल्पनीय एवं अद्भुत संगम प्रस्तुत करने का कारनामा खूबसूरती से कर दिखाने में सफलता हासिल की है ।

इस अप्रतिम उपन्यास के मार्फत लेखक द्वारा ,पौराणिक पात्रों ( जिन्हें अमरता प्राप्त थी ) , एवं फिलहाल घटित हो रही विभिन्न घटनाओं का वर्तमान -विज्ञान समृद्ध युग में शक्ति के अहंकार में डूबे चंद विनाशकारी तत्वों को दिए गए सबक का समायोजन करने के साथ सप्तचिरंजीवी पात्रों का वर्तमान से युग्म बना कर लेखन कला का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया गया है।

पूर्ण रूप से काल्पनिक घटनाओं का अद्भुत चित्रण करने नें बखूबी सफल हुए हैं एवं प्रस्तुतिकरण ने उन घटनाओं को वास्तविकता के समकक्ष लाकर खड़ा कर दिया है ।

जहां एक ओर सप्त चिरंजीवी पौराणिक पात्र यथा द्वापर युग के महान योध्हा एवं गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा जो की किन्ही कारणों के द्वारा अमरत्व हेतु अभिशप्त थे , वीर हनुमान , परशुराम लंकापति विभीषण आदि घटनाक्रम में सम्मिलित है वहीं दूसरी ओर उत्तरी कोरियन तानाशाह की नीतियां वहां की आंतरिक परिस्थितियां , जापान अमेरिका रूस भारत पाकिस्तान के हालिया घटनाक्रम को संजोया गया है और आई एस आई के द्वारा विश्व स्तर पर मानवता के खिलाफ खेले जा रहे घिनोने खेल पर से पर्दा उठाते हुए उस के द्वारा किये गए शर्मनाक कृत्यों की दिल दहला देने वाली घटनाओं की विस्तृत प्रस्तुति है ।

वरिष्ठ लेखक द्वारा कथानक पर सधी किन्तु गहरी पकड़ बनाये रखते हुए मुख्य घटनाक्रम हेतु मध्य प्रदेश के जिले बुरहानपुर को चुना गया है एवं वहां के नक्सलवाद को मुख्य घटनाओं से जोड़ा गया है ।

कथानक सुंदर तरीके से सिलसिलेवार आगे बढ़ता है एवं पाठक को भरपूर रोमांच के बीच कथानक के अंत के प्रति जिज्ञासु बनाये रखते हुए दम साध के निरंतर उपन्यास को पढ़ने में लगाये रखने में बखूबी कामयाब है ।

कथानक किवदंती (प्रमाण के अभाव में प्राचीन काल से सुने जा रहे किस्सों को किवदंती ही कहना ज़्यादा उचित जान पड़ता है ) को सत्य प्रमाणित करने की प्रक्रिया से शुरू होकर आगे बढ़ता है एवं एक खोजी पत्रकार के मुख से ही हमें कथानक के विभिन्न् पहलुओं से क्रमश: अवगत कराया गया है ।

द्रौणपुत्र अश्वथामा का एक विवेकशील , इन्द्रीयजीत,ऋतुजयी, धर्मज्ञ , महाबली, अनन्य शिव भक्त के रूप में सुंदर प्रस्तुतिकरण किया गया है। साथ ही प्रकृति एवं विभिन्न प्राकृतिक दृश्यों का भी सुंदर वर्णन किया गया है।

क्योंकि कथानक को उत्तरी कोरिया से जोड़ा गया है अतः अध्यात्म की और ले जाते हुए , बौद्ध के संदेशों को वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में स्तरीय विवरण, सरल बोधगम्य भाषा में कुछ अंश यथा स्थान प्रस्तुत किये गए है ।

ज्ञान प्राप्ति से स्वमुक्ति के स्थान पर सर्वमुक्ति की ओर प्रयास करने पर ज़ोर दिया गया है एवं जन हित में अहिंसा और वैश्विक शांति हेतु प्रेम और द्वेष, शोषक एवं शोषित के कारण उत्पन्न असंतुलन को सामान्य करने पर ज़ोर दिया गया है ।

कोरियाइ शासक जो दम्भी , हठी एवं प्रतिशोधी है उसकी दमनकारी नीतियों का विवरण , सम्पूर्ण विश्व पर कब्ज़ा करने के कुत्सित विचार को पूर्ण करने हेतु बेहद खतरनाक आयुधास्त्र का संग्रह एवं निर्माण . परमाणु अप्रसार संधि एवं विभिन्न शक्तिशाली राष्ट्रों के बीच पारस्परिक स्वार्थ एवं स्पर्धा का बखूबी चित्रण किया गया है ।

लेखक ने उपन्यास को बोझिल होने आए बचते हुए बड़े ही खूबसूरत तरीके से कही कही कुछ प्रेरक संदेश जैसे कि “ आत्मविश्वास , दृढ़ आस्था , श्रद्धा तथा लक्ष्य के प्रति समर्पण सफलता के द्योतक है” देने का भी माद्दा प्रदर्शित किया है ।

लेखक द्वारा विभिन्न पात्रों के माध्यम से घटना क्रम चाहे वह बुरहानपुर शहर की बात हो आतंकी गतिविधियां हों , उत्तरी कोरिया की घटनाएं या वहां की शांतिपूर्ण किन्तु क्रांति की ओर बढ़ती आम जनता की बात हो , दिल्ली में प्रभावशाली व्यक्ति विशेष पर दबाव बनाने की कार्यवाही हो या विश्व शांति के लिए जन हित में अश्वथामा के योद्धा रूप में अवतरित होने का वर्णन , सभी पर सामान ध्यान केन्द्रित करते हुए कथानक को चलायमान रखा गया है एवं कथानक में कही भी बोझिलता नहीं आ सकी ।

भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट जो तबाह करने हेतु रची गयी साज़िश कैसे विफल की गई , सप्तचिरंजीवी द्वारा बुराई का अंत एवं निरंकुश सम्राट को तथा आतंकी को उनके किये गए दुष्कर्मों हेतु क्या दंडित किया जा सका, खोजी पत्रकारिता करता व्यक्ति वास्तव में कौन था उसका इन सप्तचिरंजीवियों से क्या रिश्ता था एवं और भी ऐसे ही कुछ रोचक प्रश्न इस उपन्यास को पढ़ते हुए आपके ज़ेहन में अरूर उभरेंगे और उनका हाल भी आपको यही प्राप्त होगा अतः पढ़ते रहिये ……

समीक्षा रूप में, पुस्तक को जैसा मैंने समझा….

अब पुस्तक आपके हाथों में है आप पढ़ कर निर्णय लें , पर पढ़ें ज़रूर

सविनय,

अतुल्य,

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रचनाकार

Author

  • अतुल्य खरे

    B.Sc,LLB. उज्जैन (मध्य प्रदेश)| राष्ट्रीयकृत बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक | Copyright@अतुल्य खरे/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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