आज गुलाब बहुत घबराया है,
सोंचता है क्यूं सुगंध पाया है।
जन्म से कांटे रहे साथ में,
फिर भी खुश्बू बिखराया है,
वो हर दर्द में मुस्काया है।
लोगों जीना तो पुष्प से सीखो,
जिसने दूसरों पर खुद को लुटाया है।।
जो कांटे बन कर रहते है,
वो दर्द सदा ही देते है ।
पीड़ा पहुंचाने का काम है उनका,
वो इसी काम को करते है ।।
सदा कांटों से लोग दूर रहते है,
और पुष्पों से पूजा करते है
दोनो एक ही एक तरु की कृति है,
कर्म उच्च,निम्न का चयन करते है।।
कभी सेज,कभी मंदिर पे चढ़ा,
जब ह्रदय बिंधा,तो हार बना ।
जिसने दुख सहे सदा हंस के,
वो ही प्रेम का पर्याय बना ।।
देखे जाने की संख्या : 247