फागुन के दुख का, कहौं मैं सखी।
पिया रंगे न मोरी चुनरिया हो।।
बाली है मोरी उमरिया,
रंग है गोरा कोरी चुनरिया,
होली के – 2 उड़े फुहार सखी।
पिया रंगे………….
खोरन – खोरन छैला घूमय,
इठलाती यौवन का ढूँढ़य।
पड़ जाये न मो पे नजरिया सखी
पिया रंगे………….
भांग का घोटा लगा के पीवे,
फाग के राग म झूम के नाचे।
हाय ! समझे न मोरी दरदिया सखी
पिया रंगे………….
पीके सुरापान वो मस्त मलंग है,
करे जोर जोरी वो मेरे संग है।
हौले-हौले से पकड़े कलईया सखी,
पिया रंगे है मोरी चुनरिया हो।।
फागुन के सुख का, कहौं मैं सखी।
पिया रंगे है मोरी चुनरिया हो।।
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