दूरी बहुत है ज्यादा क्या रब मेरे मकां की
नज़रे करम न अब तक मेरे प क्यों अयां की
चर्चा हमारा हरसू क्यों आम हो गया है
नीयत बदल गई है क्या मेरे राजदां की
मुरझा गईं हैं कलियां मेरे चमन की क्यों कर
क्यों फिर गईं नज़र ही है आज बागबां की
हमने तो तेरी खातिर दोनो जहान छोड़े
क्या अब भी है जरूरत जाँ और इम्तिहां की
जब तुम चले गए तो बिखरा है तिनका तिनका
हालत बहुत बुरी है सपनो के आशियां की
उम्मीद थी रहोगे तुम बावफ़ा हमेशा
तोड़ी कमर है तुमने जानम मेरे गुमां की
हमने तो बस हक़ीक़त की थी बयान सच में
नींदे उड़ी हुईं हैं क्यों आज पासबां की
जब *राज* तुम नहीं तो हर भीड़ में हूँ तन्हा
तुम हो तो फिर जरूरत क्या कोई कारवाँ की
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