नव वर्ष

क्या नव वर्ष कुछ बदलेगा?
या सिर्फ तारीखें बदलेंगी,
या माह करवटें लेंगें बस,
या सिर्फ बधाई देंगें बस?
क्या दुःख सुख की चादर ओढ़ेंगें?
क्या कर्कश मधु की बातें बोलेंगें?
क्या काटें पुष्प सा महकेंगें?
या मुरझाए फूल भी चहकेंगें?

क्या अंगड़ाई ले रात जगेगी?
या रात यूं ही सो जायेगी!
ठंड से जिस्म अकड़ जायेगा?
या मौत अमर हो जायेगी?

क्या निर्धन अब धनवान बनेंगें?
क्या रोते चेहरे अब सिर्फ हसेंगें!
क्या नदियाँ प्यास बुझायेंगी बस ,
क्या बाढ़ तांडव अब न करेंगें?

फिर भी एक उम्मीद तो रखें,
सपनें देखें सच्चे सच्चे।
कर्म तो अपने करने होंगें ,
दिल पर पत्थर रखनें होंगें।

पिछले वर्ष सा युद्ध चलेगा!
हार जीत भी साथ रहेगा !
छोड़ों अब तुम उनकी बातें,
यारा वो भी कुछ तो कहेगा ?

घड़ी की सुईयां वृत में घूमें,
समय मगर कुंडली में घूमें!
कोई विजय का तिलक लगाकर
देखो कैसे मद में झूमें!

तुम बस अनवरत चलते रहना
चींटी सा तुम बढ़ते रहना।
कल की चिन्ता क्यूँ करना है !
आज में तुम बस जीते रहना ।।

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रचनाकार

Author

  • आलोक सिंह "गुमशुदा"

    शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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