क्या नव वर्ष कुछ बदलेगा?
या सिर्फ तारीखें बदलेंगी,
या माह करवटें लेंगें बस,
या सिर्फ बधाई देंगें बस?
क्या दुःख सुख की चादर ओढ़ेंगें?
क्या कर्कश मधु की बातें बोलेंगें?
क्या काटें पुष्प सा महकेंगें?
या मुरझाए फूल भी चहकेंगें?
क्या अंगड़ाई ले रात जगेगी?
या रात यूं ही सो जायेगी!
ठंड से जिस्म अकड़ जायेगा?
या मौत अमर हो जायेगी?
क्या निर्धन अब धनवान बनेंगें?
क्या रोते चेहरे अब सिर्फ हसेंगें!
क्या नदियाँ प्यास बुझायेंगी बस ,
क्या बाढ़ तांडव अब न करेंगें?
फिर भी एक उम्मीद तो रखें,
सपनें देखें सच्चे सच्चे।
कर्म तो अपने करने होंगें ,
दिल पर पत्थर रखनें होंगें।
पिछले वर्ष सा युद्ध चलेगा!
हार जीत भी साथ रहेगा !
छोड़ों अब तुम उनकी बातें,
यारा वो भी कुछ तो कहेगा ?
घड़ी की सुईयां वृत में घूमें,
समय मगर कुंडली में घूमें!
कोई विजय का तिलक लगाकर
देखो कैसे मद में झूमें!
तुम बस अनवरत चलते रहना
चींटी सा तुम बढ़ते रहना।
कल की चिन्ता क्यूँ करना है !
आज में तुम बस जीते रहना ।।