नव वर्ष मंगलमय हो

नव वर्ष मंगलमय हो

नव वर्ष में अति हर्ष हो आनन्दवृष्टिअपार हो।

मेरे हृदय में आपका अनवरत साक्षात्कार हो।।

नव वर्ष ०

उपवन सुगंधित हो सदा अवनी पर हरियाली रहे,

मन से कलुष तम दूर हो अमृत भरी प्याली रहे,

वसुधा ही अपना कुटुम्ब है मनस् से यह उद्गार हो।।

नव वर्ष ०

प्रियतम सहज सानिध्य अविरल कर माला हो कसी कसी,

पावन प्रणय पद सुखद् सिहरन अंतसों तक धँसी धँसी,

द्युलोक से अच्छी धरा है ऐसा सद्व्यवहार हो।।

नव वर्ष ०

जननी जनक पूजित रहें स्वतनय से सेवित रहें,

अग्रज अनुज सन्मार्ग पथ अनुयायी अनुशासित रहें,

हर घर में तनया सुपूजिता कुछ इस तरह संसार हो।।

नव वर्ष ०

गुरु ज्ञान की सरिता बहायें शिष्य ज्ञान पिपासु हों,

सब लक्ष्य भेदित हो सकें सब लोग सद्जिज्ञासु हों,

सत्य ही शिव है सुंदर है कर्म का आधार हो।।

नव वर्ष ०

नदियाँ सदा वाहिनी रहें और प्रकृति अनुकूलित रहे,

खग निडर स्वर्णिम नीड़ में पर खोल के मुकुलित रहे,

उर ज्ञानमुक्ता प्रभास शेष सुदीपवत संस्कार हो।।

नव वर्ष ०

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रचनाकार

Author

  • शेषमणि शर्मा 'शेष'

    पिता का नाम- श्री रामनाथ शर्मा, निवास- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। व्यवसाय- शिक्षक, बेसिक शिक्षा परिषद मीरजापुर उत्तर प्रदेश, लेखन विधा- हिन्दी कविता, गज़ल। लोकगीत गायन आकाशवाणी प्रयागराज उत्तर प्रदेश। Copyright@शेषमणि शर्मा 'शेष'/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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