1.
कुछ न कुछ बदलेगा जरूर
क्यों कि बदल गया है मौसम
दीवारों पर टंग गए हैं –
हरे-भरे दृश्यों वाले नये कैलेण्डर
कुछ और रंगीन हो गए हैं
डालियों पर धूप सेंकती तितलियों के पंख
तेज सर्द हवाओं से जड़ों तक काँप रहे हैं पुराने पेड़ ।
पेंशन की कतार में थक कर बैठ गयी,
बाबू की झिड़कियों से बेखबर एक वृद्धा सोचती है –
मरते-खपते ही सही गुजर गया एक और साल
पुरानी हवेली के रोशनदान में
गौरैया ने बना लिया है एक नया घोंसला
और हमारे कस्बे में साल बदल गया है।
2.
हाथ का आंवला नहीं था
पारे की तरह था समय
मुट्ठी बंद करते ही फिसल कर बिखर गया
कई छोटी छोटी बूंदों में,
जैसे आईना हाथ से छूट कर
बिखर गया हो कई किरचों में,
सब में एक ही चेहरा टूटा हुआ कई टुकड़ों में
वर्ष भर की कुछ ऐसी स्मृतियों के साथ
जिन्हें सहेजने में ऊँगली छिल जाने का भय है।
3.
आकाश में हवा से बातें कर रही है
एक बच्चे की तिरंगी पतंग
हवा में लहरा रहा है
एक लड़की का चम्पई दुपट्टा
घर में बर्तन धोती औरत
बर्तन की चमक में ठीक करती है अपनी बिंदी ।
टुटही साइकिल पर एक डेढ़ पसली का आदमी
बाज़ार से पंचांग वाले कैलेण्डर की
सही मोल जोल कर घर ले आता है
और हमारे कस्बे में साल बदल जाता है।
4.
कस्बे में साल बदल रहा है,
पिता से ज्यादा माँ की फ़िक्र में बड़े होते बच्चे
आकाश में उड़ती पतंगों को देखकर
भूलने लगे हैं होमवर्क
रात उतरने से पहले स्ट्रीट लाइट में
बैडमिंटन का मैदान हो रहीं हैं सड़कें
अब भी बुजुर्गों के चेहरों पर है निचाट खालीपन
पार्क भर गए हैं गृहस्थी में खपे पतियों,
संतुष्ट पत्नियों और उत्साही बच्चों से,
नशा चढ़ रहा है युवकों की आँखों में,
युवतियों की मुस्कुराहट में उतर रहा है
समय से पहले ही बसंत ।
आकाश में उड़ रहे हैं
बच्चों के हाथों से छूट गए कुछ गुब्बारे
धीरे-धीरे सबको चल रहा है कि
हमारे कस्बे में साल बदल रहा है ।
रचनाकार
Author
जन्मतिथि:- 01.06.1959, जन्मस्थान:- मुजफ्फरपुर, बिहार, शिक्षा:- एम.ए.(हिन्दी), पीएच.डी., वर्तमान में कार्य:- प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, एम.पी.एस.साइंस कॉलेज, बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर । वर्तमान पता- जनकपुरी लेन नं. 1, श्याम नंदन सहाय कॉलेज के पास, पोस्ट -आर.के.आश्रम,भाया-रमना,बेला, मुजफ्फरपुर, बिहार 842002. रुचि साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन और प्रकाशन, उपलब्धियां:- देश भर की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएँ और समीक्षाएँ प्रकाशित, आकाशवाणी और दूरदर्शन की साहित्यिक परिचर्चाओं में सहभागिता । दूरदर्शन के शताधिक वृत्तचित्रों में स्क्रिप्ट लेखन और पार्श्व स्वर, प्रकाशित पुस्तकें - 1.प्रश्नवाचक होने से पहले (कविता पुस्तक) प्रकाशन संस्थान, दिल्ली 1991 2.हिन्दी नाटकों में रंग निर्देश 3.लोकगीतों में पर्यावरण चिंतन 4.भारतीय लोकनाट्य : परम्परा एवं प्रयोग । Copyright@डॉ. शेखर शंकर मिश्र/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |