मिलाकर नैनो से नैना
करो बातें तो हम जाने
ना हो ओठो पे कंपन
मौन दो उत्तर तो हम जाने
समझ कर मन की पीड़ा को
बहावो प्रेम की नदियां
भरा दिल प्रेम का सागर
जो छलकाओ तो हम जाने
अंधेरा घर बनाकर छिप रहा है
दिल के कोने में
जला दिल दीप दिवाली
मनाओ फिर तो हम जाने
कभी खिलकरके आ जाओ
ह्रदय के गर बगीचे में
कली बनकरके खुशियों को
जो महकाओ तो हम जाने
भिगाकर तन वदन पूरा
प्रेम भावो के सागर में
प्रेम झोको के संग बारिश
कराओ तो कभी जाने
धधकता है कभी जो दिल
बिरह की अग्नि में तपकर
चांदनी रात शीतल सी
बनाओ तो कभी जाने
भरी खुशबू हो तपती रेत पर
खिलते जो पुष्पों से
नया एक रंग देकर के
खिलाओ तो कभी जाने
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