नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।

नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता:प्रणता:स्म ताम् ॥”

हे माँ! तुम्हारे दर पे आए ज्ञान का वरदान दो।।

कर दो सारे पाप नाश चरण रज से तार दो

तुम हो अजन्मा पराभूता सर्वशक्ति सम्मति

योग निद्रा परस्वामिनी त्रैलोक्य अखिलेश्वरी

जगदीश्वरी जगपालिनी जगत् को कल्याण दो

हे माँ! तुम्हारे दर पे आए ज्ञान का वरदान दो।।

शैलपुत्री प्रथम रूपा स्थिर मन को तार दो

ब्रह्मचारिणी ब्रह्म रूपी ज्ञान का संसार दो

हे चंद्रघंटा चंद्र गुण से क्रोध को संघार दो

कुष्मांडा ऊष्म रूपी तेज हम पर वार दो

हे माँ! तुम्हारे दर पे आए ज्ञान का वरदान दो।।

स्कंदमाता बालक के सिर ममता का हाथ दो

तमोगुण को हरने में कात्यायनी अब साथ दो

हे कालरात्रि कालिका तम-भाव को संघार दो

हे महागौरी गौरवर्णा सुख शांति का संसार दो

सिद्धरूपों की सिद्धेश्वरी अभय का वरदान दो

हे माॅं! तुम्हारे दर पर आए ज्ञान का वरदान दो।।

Facebook
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Pinterest

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रचनाकार

Author

  • सलोनी उपाध्याय

    Copyright@सलोनी उपाध्याय/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

Total View
error: Content is protected !!