दिलाई जिसने आजादी नमन उनको मैं करता हूं
गवाएं प्राण थे जिसने नमन उनको मैं करता हूं
नहीं देखा नहीं सोचा कि आगे हाल क्या होगा
समर में कूदा जो उसका यहां अंजाम क्या होगा
बटूगा टुकड़ों में कितने या टुकड़े कितने कर दूंगा
भले परिणाम कुछ भी हो तिरंगा साथ ही होगा
भरा था जोस दिल में और चेहरे पर रवानी थी
उन्हें जड़ से उखाडूगा लिखी ऐसी कहानी थी
नहीं था डर कोई उनमें न मन में कोई थी चिंता
वतन पर ही मरूंगा ऐसी उनकी ये जवानी थी
बाजुओ में थी वो ताकत वो उमड़ता जोश था
सुख औ दुख उनका ही सारा देश पर कुर्बान था
भगाएंगे फिरंगी को कसम जिसने यह थी खाई
गवा कर प्राण अपने भी दिलाई हमको आजादी
कई बीते बरस पर याद उनकी आज ताजा है
भरे नैनो के जल से नमन करने का इरादा है
नयन जल अश्रुपूरित से नमन उनको मैं करता हूं
दिलाई जिसने आजादी नमन सबको मैं करता हूं
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