बीते लम्हों को कभी याद जो मैं करता हूं
थकी आंखों में मेरे अश्क नजर आते हैं
नहीं छुपा के रखता बात जो भी दिल में कभी
खुली किताब वो जीवन की नजर आते हैं
एक एक लब्ज पर अब नाचने का मन करता
बीते हुए वक्त अब तो गीत नजर आते हैं
बिना सुर ताल के ये दिल जो मेरा हंस देता
उसमें ही जिंदगी के राज नजर आते हैं
देता जो साथ यहां दूसरे का जीवन भर
उसीमे नेक दिल इंसान नजर आते हैं
ओढ लेते है दूसरे के दुख की जो चादर
वही तो जग में फरिश्ते से नजर आते हैं
जो ना महसूस करें छोटा या बड़ा क्या है
उसी मे तो सदा भगवान नजर आते हैं
जोभी इस प्रेम को इस देह से ऊपर समझा
उसी में प्रेम ये जीवित से नजर आते हैं
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