होता है बहुत दुःख कभी कभी,
विगत को सोचकर,
हृदय भी रोता है बहुत ,
निष्ठुर नियति को नोचकर
मन में आती कि कर लेता काश
उसी समय थोड़ा और प्रयास
मिल जाता फिर ईप्सित लक्ष्य,
जिससे पूरी होती मन की आस ।।
आ रहा है नववर्ष ,
लेकर खुशियां तमाम ।
उम्मीद होती है सबको इससे,
ख़ास जन हो या आम ।।
होती है नईं आशाएं और लक्ष्य
जन मानस में नाना प्रकार प्रकार की ,
दिखती हैं दूर होती जिससे
भय – बाधा- भ्रान्ति बेकार की ।।
ये आशाएं ही जीवन में
लक्ष्य तक पहुंचती हैं,
जीवन में जीने का
नया तरीका सिखाती हैं ।।
जीवन में जो हो चुका,
उसको न दोहराइए ,
करके फिर से प्रयास
वांछित को पाइए ।।
जो हो चुका उसे वापिस लाना है असंभव,
जो बचा है उसके लिए करो प्रयास हर संभव ।।
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