दोहे-होली के हाल

होली तेरे गांव की , बड़ी रसीली यार ।
गोरे गोरे अंग से , झर – झर झरे फुहार ।।

देवर – भाभी साथ में , और ननद है संग ।
इन सबकी हुडदंग से , भैया होते दंग ।।

लोक – लाज का मान रख , निभे प्रीत की रीत ।
प्रेम – परक सब खेलिए , सबके मन को जीत ।।

लोग करेंगे त्यौहार में , जल संकट के तर्क ।
किन्तु एक यह दिवस में , नहीं पड़ेगा फर्क ।।

कृतिम रंग मत पोतना , बालाओ के गाल ।
वरना फिर मच जाएगा , अनचाहा भौकाल ।।

तुम खुशियों में चूर हो , हम दुख में मजबूर ।
रंग लिपटते आपसे , हमको देखें घूर ।।

प्रिया तुम्हारे गाल का , रंग हुआ यूं लाल ।
उतर गया मादक नशा , टेसू करे मलाल ।।

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रचनाकार

Author

  • देवेन्द्र डहेरिया देशज

    मुकाम पिपरिया कला, तहसील केवलारी, जिला सिवनी, मध्यप्रदेश, पिन 480991. Copyright@देवेन्द्र डहेरिया देशज/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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