दोहें-हिंदी का हो ताज

फिर घुमड़ी आकाश में , बादल बादल भोर ।

अब के जाने क्या करे , ये मौसम घनघोर ।

आंगन में आकाश से , उतरी उजली भोर ।

चिड़ियां चहकीं प्रीत की , मन में चारों ओर ।

मन में उतरे राम जी , द्वारे नूतन भोर ।

ह्रदय बीच मंदिर नवल , आंखों में चितचोर ।

ऋतुराज एहसास में , भरता नई उमंग ।

तन यौवनमय हो गया , मन में जगी तरंग ।

आज उड़ा आकाश में , मन चिड़ियों के संग ।

नए नवेले दीखते , आज भोर के रंग ।

उत्सव नई उड़ान का , तुम पतंग हम डोर ।

अब के चूमे प्रीत फिर , आसमान का छोर ।

श्यामल श्यामल आसमां , धुआं धुंआ सी भोर ।

याद बुंदीली आपकी , भीगे मन की कोर ।

भोर पहन कर आ गई , श्यामरंग परिधान ।

सूरज की किरणें करें , मेघों का सम्मान ।

मन में चमके रोशनी , तन पर साजे छींट ।

इसी तरह धरते रहो , जीवन की हर ईंट ।

भोर खिली आकाश में , फैला नया उजास ।

खुशियों की सौगात ले , किरणें आईं पास ।

नव भारत के शीश पर , हिंदी का हो ताज ।

हिंदी में संवाद हो , हिंदी में हो काज ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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