फिर घुमड़ी आकाश में , बादल बादल भोर ।
अब के जाने क्या करे , ये मौसम घनघोर ।
आंगन में आकाश से , उतरी उजली भोर ।
चिड़ियां चहकीं प्रीत की , मन में चारों ओर ।
मन में उतरे राम जी , द्वारे नूतन भोर ।
ह्रदय बीच मंदिर नवल , आंखों में चितचोर ।
ऋतुराज एहसास में , भरता नई उमंग ।
तन यौवनमय हो गया , मन में जगी तरंग ।
आज उड़ा आकाश में , मन चिड़ियों के संग ।
नए नवेले दीखते , आज भोर के रंग ।
उत्सव नई उड़ान का , तुम पतंग हम डोर ।
अब के चूमे प्रीत फिर , आसमान का छोर ।
श्यामल श्यामल आसमां , धुआं धुंआ सी भोर ।
याद बुंदीली आपकी , भीगे मन की कोर ।
भोर पहन कर आ गई , श्यामरंग परिधान ।
सूरज की किरणें करें , मेघों का सम्मान ।
मन में चमके रोशनी , तन पर साजे छींट ।
इसी तरह धरते रहो , जीवन की हर ईंट ।
भोर खिली आकाश में , फैला नया उजास ।
खुशियों की सौगात ले , किरणें आईं पास ।
नव भारत के शीश पर , हिंदी का हो ताज ।
हिंदी में संवाद हो , हिंदी में हो काज ।