दोहें-मिटा अंधेरा रात का, उतरी मन में भोर

मिटा अंधेरा रात का , उतरी मन में भोर ।

आंखों में कलियां खिलीं , नयनों नाचे मोर ।

उड़ती फिरती बाग में , संग हवा के भोर ।

छुपा हुआ हर फूल में , मनमोहन चितचोर ।

रहे साथ में उम्र भर , सारे हिरदय हीन ।

टुकड़े टुकड़े हो गया , जीवन का कालीन ।

हमने खाई उम्र भर , मन पर गहरी चोट ।

धीरे धीरे घुन रहा , जीवन का अखरोट ।

अपनी अपनी ज़िंदगी , अपने पुन औ पाप ।

कोइ कहे वरदान है , कोइ कहे अभिशाप ।

पलकों पर सोती रही , गई रात की जंग ।

झरे नयन की कोर से , नवल भोर के रंग ।

बरसे बादल सांवरे , हवा हुई बेचैन ।

संग धरा के भीगते , मृगनयनी के नैन ।

आज सुबह से बाग में , घुली महकती याद ।

करते रहते फूल सब , प्यार भरा संवाद ।

खिली महकती रोशनी , जगी नयन में भोर ।

सोचा तुमको प्यार से , हँसी होंठ की कोर ।

शरमाई आकाश में , नई नवेली भोर ।

पंछी चहके बाग में , आज़ादी चहुं ओर ।

चाहे ढलती शाम हो , चाहे खिलती भोर ।

मन में रणभेरी बजे , मचता रहता शोर ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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