ये नफऱत,ये दहशत ये दिलों की दूरी
कब मिटेगी ??
ये शिक़वे, शिक़ायत व बदले की आग
कब बुझेगी ??
ये लालच,चोरी व दौलत की भूख
कब मरेगी ??
ये वसीयत,हैसियत व गऱीबी की सियासत
कब हटेगी ??
ये तक़रार,इनकार अपनो में दरार
कब घटेगी ??
ये जिद्द,जद्दोजहद व बीच की दीवार
कब टूटेगी ??
ये अत्याचार,व्यभिचार व धर्मागत हिंसा
कब थमेगी ??
ये जात-पात,ऊंच-नीच व मज़हब की खाई
कब भरेगी ??
ये वहसिपना,दरिंदगी व हैवानियत
कब मरेगी ??
ये ईमान इंसानियत व ज़मीर इंसानों की
कब जगेगी ??
आ बैठ जा बाजू में कन्हैया
तेरा कोई सुनने वाला नहीं
ये वो सवालात हैं मेरे दोस्त
हजारों साल से जिसका ज़बाब नहीं।
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