आसमान घिर गयी बदरिया
देखो सावन आया है
झूले पड़ गए डाल-डाल
कोयल ने गीत सुनाया है
उपवन खिला-खिली धरती
चहुओर खुशी ही छाई है
घास फूस संग पुष्प खिले
छाई धरती हरियाली है
पर्यावरण सुगंधित करके
हवा ने जग महकाया है
खिली प्रकृति की छटा निराली
मन का भाव जगाया है
चमकी बिजली बादल गरजा
चहुओर अंधेरा छाया है
अधियारों में घिरकर भी
जुगनू ने दीप जलाया है
चमक रहे तारों को नभ ने
दिल में आज बसाया है
पास में रहकर चांद दिलों का
प्रेम का भाव जगाया है
खुशहाली फैलाकर सावन
प्रेम का पुष्प खिलाया है
प्रेम गीत को सुन मनमोहक
सावन भी मुस्काया है
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