दिल ने तुम्हें पुकारा है सरकारे-दो जहां
आओ मिरी मदद को ए मुख़्तारे-दो जहां
मँझधार में किनारा दिया आपने सदा
आये हो बनके आप ही पतवारे-दो जहां
जब तुम मेरी नज़र के नज़ारों में आ गये
भाता नहीं है तब से ही दरबारे -दो जहां
मैं फ़ख्र से ऐलान सर- ए- आम कर रहा
तुम हो मेरे नबी तुम्हीं अनवारे-दो जहां
हस्ती तुम्हारी ज़लवानुमा हर तरफ़ ही है
कैसे करूँ बयान मैं अबरारे -दो जहां
अपने करम की छाँव में ले लीजिए मुझे
सर पर ग़मों की धूप है सरदारे -दो जहां
बस इतनी आरज़ू है मेरी *राज* आपसे
सब मुझको कहें आपका सरकारे -दो जहां
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