उसके भावो में जो डूबा एक कली सी खिल गई
रंग रूप से ही उसके खुशबू अब बिखर गई
तोड़ ना ले जाए दूजा कोई उसको बाग से
रखता हूं दिल में छुपा के प्रेम डोरी बांधकर
फूल होता ही सदा है खुशबू देने के लिए
चाहता हूं रंग नया कोई उस पे वार दूं
खिल गया है जो सुबह ओ शाम तक खिलता रहे
खिल के डाली पर सदा यू ही महकता रहे
दूर ना हो अब कभी भी अपने इस फूल से
वह हमेशा ही रहे अब पास बनकर फूल सी
फिर कभी पतझड़ न छाए खिल रहे इस फूल पर
हर समय खिलती बहारे ही रहे इस फूल पर
सारा जीवन ही सुगंधित आज उसका हो गया
है बाहरे संग जिसके पास में ये फूल है
देखे जाने की संख्या : 160