दिल की बस्ती जो उजड़ी ,बसेगी नहीं

लफ़्ज़ की चाशनी में घुलेगी नहीं ।

बेरुख़ी आपकी अब छुपेगी नहीं ।

पंख कतरे हैं तुमने मेरे प्यार के ।

बेपरों की ये चिड़िया उड़ेगी नहीं ।

मज़हबी मेल लाज़िम है इस मुल्क़ में ।

बात बिगड़ी अगर तो बनेगी नहीं ।

एक लड़की जो तन कर खड़ी हो गई।

सामने ज़ालिमों के झुकेगी नहीं ।

ज़िन्दगी की लकीरें मिटेंगी मगर ।

एक तस्वीर दिल से मिटेगी नहीं ।

वक़्त गुज़रेगा हम भी गुज़र जाएंगे ।

उम्र की ये नदी फिर बहेगी नहीं ।

गाँव कल फिर नये और बस जाएंगे।

दिल की बस्ती जो उजड़ी ,बसेगी नहीं ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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