दिलों के फूल है

तेरे हर एक लहजे से मुखातिब फूल हैं
सदा ही चूमते अशआर तेरे फूल है
कभी ना तोड़ना खिलते हुए इस फूल को
सदा मुस्कान भरते ये दिलों के फूल है
भले उमड़ा दिलों में आज चाहत का समंदर
सवरते उनके बालों में लगा ना फूल है
मिलेगी ताजगी तुझको सदा ही सुरमई
सुबह देखा करो उठकर चमन के फूल है
बड़े नाजुक है संभालो तुम इन्हे हर दम
भरी है दिलकशी जिसमें वही ये फूल हैं
ये सारे चांद तारे तोड़ कर कदमों में रख दूंगा
तुम्ही कहते थे जिनसे ये वही तो फूल है
हमेशा आसमां के चांद से भी ज्यादा प्यारा था
जो महकाया तेरा जीवन वही ये फूल है

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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