तुम वीणा तुम बांसुरी(दोहें)

तुम वीणा तुम बांसुरी , तुम रसवंत सितार ।

तुम हिरदय की स्वामिनी , तुम मेरा गलहार ।

तुम नदिया रस की भरी , तुम झरनों का नीर ।

तुम नयनों का चैन हो , तुम मनवा की पीर ।

फागुन बैठा आम पर , मनवा करे किलोल ।

कोई आ कर बोल दे , दो मीठे से बोल ।

मन में जलती होलिका , तन पर बिखरे रंग ।

तुम बिन कहां उमंग है , तुम बिन कहां तरंग ।

नजर बिछी है राह पर , होठों पर है प्यास ।

गए सांवरे छोड़ कर , यादों का इतिहास ।

मन से झरती गंध है , तन से छलके नूर ।

पास तुम्हारे मन मिरा , तन है तुमसे दूर ।

तन गगरी रस की भरी , मन जंगल का फूल ।

प्रीत तुम्हारी प्राण में , रही पालना झूल ।

अब के लाई ज़िंदगी , बिन अम्मा के फाग ।

कैसे छलकें रंग अब , कैसे मचले राग ।

रही जलाती उम्र भर , हमे वक्त की धूप ।

शायद शीतल छांव दे , कभी तुम्हारा रूप ।

पावन जल पावन धरा , पावन रूप अनेक ।

देसी और विदेशी क्या , भारत में सब एक ।

तन खजुराहो की झलक , मन मोती का हार ।

तुमसे हैं सिंगार सब , तुमसे खिले बहार

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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