अब तो रह ना सकूंगा तुम्हारे बिना
गीत गा ना सकूंगा तुम्हारे बिना
चाहे कितनी भी मिल जाएगी रोशनी
पर अंधेरा रहेगा तुम्हारे बिना
सुख तो बदला है दुख में तुम्हारे बिना
हर कदम लड़खड़ाता तुम्हारे बिना
अब तो गम का ये सागर भी गहरा हुआ
पार कर ना सकूंगा तुम्हारे बिना
ना हो आंखों में सपने तो टूटेंगे क्या
जब मिले ही नहीं साथ छूटेगे क्या
छोड़ कर के गए मुझको जिस मोड़ पर
मैं वहीं पर खड़ा हूं तुम्हारे बिना
कितने दिन तक चला हूं तुम्हारे बिना
जिंदगी से लड़ा हूं तुम्हारे बिना
अब जरूरत नहीं है किसी जीत की
जीत कर क्या करूंगा तुम्हारे बिना
सीप मैं और मोती ना बन पाए तुम
संग में मेरे हर दम ना रह पाए तुम
उम्र ढल तो गई मन ना बूढा हुआ
पर ये सूना रहा है तुम्हारे बिना
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