तुमने फिर से बना लिए नए किरदार

तुमने फिर से बना लिए नए किरदार,
मुझे, मेरी तन्हाई, मेरी बेवफाई को l
तुम्हारी,
कलम लिखते लिखते दौड़ने लगी,
कागज़ पर कुछ नई कहानी सजोने लगी l
तुम्हारे,
जज़्बातों ने कभी मुझे जाहिल कहा !
ख्यालातों ने कभी मुझे काफ़िर कहा !
तुमने लिखा, मैं समधर्मी हूँ,
तुमने लिखा, मैं अधर्मी हूँ l

मैंने देखा , तुम्हारे हाथों की रफ़्तार,
तुम्हारे विचारों से मेल नहीं खा रहे थे l
कभी हम तो कभी सिर्फ हम,
तुम्हारे यादों के आंगन में आ जा रहे थे l

तुम लिखती जा रही थी ,
अपनी बातों की भड़ास,
लेखन में निकाल रही थी l
मैं उधर बैठा,
तुम्हारा लिखा पढ़ने के इंतजार में था l
मैं मुजरिम था,
पर अंतिम फैसले की आश में था l

तुम फैसला लिख रही थी ,
फैसले पर लिखे पहले शब्द,
“प्रिय ” से मुझे दूर कर रही थी l

खाली कागज़,
रिश्तों के खून से भर चुका था l
तुम्हारी कलम टूट चुकी थी ,
और मैं मर चुका था ll

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रचनाकार

Author

  • आलोक सिंह "गुमशुदा"

    शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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