जगत की शान है हिंदी मेरा अभिमान है हिंदी
हमारी मातृभाषा देश की पहचान है हिंदी
हुआ है जन्म संस्कृत से संस्कृति की जो पोषक है
भरा जिसमें है सब रस गुण उसी की खान है हिंदी
भरे सम्मान गरिमा दिल करे पावन सा जो तन मन
हृदय की हर उमडती भावना का भान है हिंदी
भरी सागर सी गहराई है इसके वर्ण अक्षर में
हमारे ज्ञान की व्यवहार की पहचान है हिंदी
है भाषा भव्य भारत की जणित श्रृंगार रत्नो से
सतत करता प्रकाशित जो ओ ज्योतिर्मान है हिंदी
करे जो भाव गुंजित मन हिलोरे मार कर दिल में
सजग प्रहरी सा बन रक्षा करें सद्भाव है हिंदी
लिखे जो भी वही बोले न कोई भेद है इसमें
भरी जिसमें है ये खुशबू ओ चंदन दीप है हिंदी
मिला लेती है जब सुर ताल को भावो में खोकरके
करे झंकृत जो तन मन को ओ वीणा तार है हिंदी
विलक्षणता भरी कितनी है आभा कितनी मौलिकता
दिलों में भर दे जो उत्सव वही त्यौहार है हिंदी
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