ज्ञान जहाँ से मिले छोड़ना मत
स्वयं को इस राह पर कभी रोकना मत
यू चौंकते क्यों हो बात सही है
किताब और दुनिया देती ज्ञान वही है।
कोई कमरे में बंद, पढ़ किताबों को
विद्यासागर बन जाता है
कोई दुनिया को दिन-रात समझ
कबीरदास बन जाता है
ज्ञान दोनों ही हर मूल्य पर पाता है
एक किताबी तो दूजा आँखों देखी कहलाता है।
एक पढ़ हैरान है दूजा झेल परेशान है
दोनों की ही किस्मत ऐसी,जैसे तीर कमान है
एक अनुभव करता है,पढ़ता और समझता है
दूजा झेल सीखता है हरदम आगे बढ़ता है।
लक्ष्य एक है दोनों का
परिवर्तन जिसका नाम है
ज्ञान ही वह ज्योति है,
अज्ञान का करती नाश है
किताब या दुनिया का,ज्ञान ही समाधान है
लगातार तुम आगे बढ़ना दिलाती यह सम्मान है।
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