जीवन मृत्यु के द्वंद युद्ध में

एक रात मैंने अंधियारे में,

ख़ुद के अन्दर ख़ुद को देखा l

थी लाश मेरी, मेरे अन्दर,

थोड़ा मरते, जलते देखा ll

निष्प्राण देह, गुमशुद शरीर

कभी मोक्ष द्वार, कभी गंग तीर l

ख़ामोश शब्द, सब हार जीत ,

लिए उर में खुद की ही एक पीर ll

एक रात मैंने अंधियारे में,

ख़ुद के अन्दर ख़ुद को देखा l

जल रहा था मैं, मर रहा था मैं,

ख़ुद की चिता सजाये था l

मैं महक रहा था अंधियारों सा,

ख़ुद में अग्नि लगाये था ll

मुझे राम दिखे पर रावण से,

आँखों में नीर थे सावन से l

था चीतकार मेरे अन्दर,

थे मंज़र बहुत लुभावन से l

एक रात मैंने अंधियारे में,

ख़ुद के अन्दर ख़ुद को देखा l

मैं सुलग रहा था रह रह कर,

मैं दहक रहा था रह रहकर l

बदबू खुश्बू सब एक हो रहे,

मैं भटक रहा था रह रह कर ll

कभी पैर जले, कभी सर चटके

कभी भूत दिखे, कभी वर्तमान लटके l

कभी सेज दिखे कुछ लम्हों की ,

कभी भविष्य हवा सा कुछ खटके ll

एक रात मैंने अंधियारे में,

ख़ुद के अन्दर ख़ुद को देखा l

कुछ वक्त लाश में प्राण दिखें,

फिर जलकर राख होते देखा l

जीवन मृत्यु के द्वंद युद्ध में,

जीवन को मरते देखा ll

एक रात मैंने अंधियारे में,

ख़ुद के अन्दर खुद को देखा l

थी लाश मेरी मेरे अन्दर,

थोड़ा मरते, जलते देखा ll

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रचनाकार

Author

  • आलोक सिंह "गुमशुदा"

    शिक्षा- M.Tech. (गोल्ड मेडलिस्ट) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, हरियाणा l संप्रति-आकाशवाणी रायबरेली (उ.प्र.) में अभियांत्रिकी सहायक के पद पर कार्यरत l साहित्यिक गतिविधियाँ- कई कवितायें व कहानियाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं कैसे मशाल , रेलनामा , काव्य दर्पण , साहित्यिक अर्पण ,फुलवारी ,नारी प्रकाशन , अर्णव प्रकाशन इत्यादि में प्रकाशित l कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एकल और साझा काव्यपाठ l आकाशवाणी और दूरदर्शन से भी लाइव काव्यपाठ l सम्मान- नराकास शिमला द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व सम्मानित l अर्णव प्रकाशन से "काव्य श्री अर्णव सम्मान" से सम्मानित l विशेष- "साहित्यिक हस्ताक्षर" चैनल के नाम से यूट्यूब चैनल , जिसमें स्वरचित कविताएँ, और विभिन्न रचनाकारों की रचनाओं पर आधारित "कलम के सिपाही" जैसे कार्यक्रम और साहित्यिक पुस्तकों की समीक्षा प्रस्तुत की जाती है l पत्राचार का पता- आलोक सिंह C- 20 दूरदर्शन कॉलोनी विराजखण्ड लखनऊ, उत्तर प्रदेश Copyright@आलोक सिंह "गुमशुदा"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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