विटप बन मैं तुझे ,
सुख भरी आस दूँ।
आ तुझे अपनी कोमल कोमल,
अपने सारे पत्तो से सारा प्रेम,
मैं तुझी पर वार दूँ।
आ तुझे मैं भरपूर प्यार दूँ,
अपनी आशा का नीड़ बना कर
जी ले तू मेरी शाख पर प्रेम लुटा कर
अपनी रसीली,सुरीली कविता के गान दूँ।
अपना प्यार तुझी पर वार दूँ
हरे नव पल्लवों के स्पर्श से
अपने प्यार को मैं वार दूँ
सूखने से पहले अपने सारे प्यार से तुम्हे
स्नेह रूपी पत्तों संचित कर तुम्हे
जीने का नवीन अरमान वार दूँ।
आ तुझे मैं भरपूर प्यार दूँ।
सूख जाने पर ईंधन बन तुझको
तुझे सर्द रातों में तपन का अहसास दूँ
अपने स्नेह के आलिंगन की गर्म सी आँच दूँ।
आ तुझे मैं भरपूर प्यार दूँ।
जो भी हो पास मेरे मैं तुझ पर ही वार दूँ
मैं अपना सर्वस्व तुझी पर वार दूँ।
तुझ पर जीवन कुर्बान दूँ।।
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