हौसला जब टूटता है तो ,
सबसे पहले जो कन्धा दे
नव -ऊर्जा का संचार करते
वो पिता ही तो है !
खुद के बाजूओं को जब कटा
महसूस करता,
उस पल खुद की ऊँगली थमाने
वाले ,
पिता ही तो होते है !
स्वप्न जब जमीं पर बिखर
बिलखता ,
उस क्षण उस स्वप्न को फिर से
जगा,
जोश संग फिर उठ खड़ा जो कर देते ,
वो पिता ही तो होते है !
राह सजग करने को डांटते अक़्सर ,
पर उस डांट से ज्यादा जो प्रेम हृदय
से करते ,
वो पिता ही तो होते है !
जेब में गर न हो एक भी पैसा ,
फिर भी बच्चों की जरूरत जो
हर-पल पूरा करते
वो पिता ही तो होते है !
कठिन दौर में भी हौसला के
बंदिशों संग रहना जो सिखाते ,
वो पिता ही तो होते है !
पिता वो पाठशाला है जीवन का,
जिनके आँखों के इशारों को गर
पढ़ना सीख लिया ,
तो समझो असफलता -विफलता पा-कर
भी ,
पुनः खड़ा होने का हुनर तुमने सीख लिया |
हौसला का नाम पिता ,
जीवन के मार्गदर्शक पिता ,
हो अगर मार्ग में कठिनता ,
तो उसे नव ऊर्जा संग हटा ,
आगे बढ़ने का हौसला देते पिता !
रचनाकार
Author
पिता : श्री गंगानाथ झा, वर्तमान पता : सारनाथ | Copyright@नवीन आशा/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |