वो जिसने छोड़ा खुद को टूटकर रब के सामने
उसे रब सम्हालता ही है न तोड़ता सब के सामने
बहस से कभी समस्या का समाधान हुआ ही नहीं
ख़ामोशी ही बेहतर रही है नाशुकरी बहस के सामने
हर पल रब के शुक्राने का हासिल मिलना ही है
कभी बेतकल्लूफी न रखी ऐसो से रब के जाम ने
वो जिसने हमेशा नरम दिली से जीना सीख लिया
वक़्त भले लगा हो पर बात बनी ही है सब के सामने
आजमाश हर एक की होनी ही है कोई न बच सका
जो खरा उतरा वही तो खुशहाल मिला रब के सामने
दिल का आलम जो समझें हर उम्र के दौर में
वही तो हमसफर संजीदा रहेगा रब के सामने
गुजरते वक़्त ने तबज्जो कम कर ही दी होंगी
पता अब चला चाहत दिखवा रही सब के सामने
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