चांदनी रात है पर ओ ठंडक नहीं
साथ मेरे तो हैं पर ओ रौनक नहीं
आज मन में अंधेरा ही छाया हुआ
सूर्य की रोशनी है पर जगमग नहीं
ओश की बूंद पर, अब चमक ओ नहीं
खिलती कलियों में भी ,अब महक ओ नहीं
अब तो इच्छा के हैं बोझ से सब दबे
सब भरा है यहां,पर सुकून अब नहीं
देखे जाने की संख्या : 72