घिर गया आजकल मैं सवालों में हूँ
कुछ ख्वाबों में हूँ , कुछ ख़यालों में हूँ!
रात है या कि दिन कुछ ख़बर ही नहीं
कुछ अँधेरों में हूँ , कुछ उजालों में हूँ !
उनकी नज़रों में हूँ चैन- आराम से
क्यों बताऊँ भला पायमालों में हूँ ।
ख़ुद की ख़ुशियाँ या ग़म हैं जुदा तो नहीं
सबकी खुशियों में , सबके मलालों में हूँ।
जंग अपनी पुरानी अँधेरों से है
दीप में जल रहा मैं ,मशालों में हूँ!
सुरभि की ही तरह अपनी भी शख़्सियत
मूल में , फूल में, पत्र ,डालों में हूँ !
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