हमें सुनाती ज़िंदगी , तन्हाई का गीत ।
भरते-भरते उम्र की , गई गगरिया रीत ।
मेघों के संग आज फिर , उड़ी तुम्हारी याद ।
बरखा करती झूम कर , मिलने की फ़रियाद ।
भादौ बैठ मुंडेर पर , करे बुंदीला गान ।
खेतों का अभिषेक है , नदियों का सम्मान ।
फूलों के आगोश में , खिलता नवल प्रभात ।
लाया सूरज देवता , जीवन की सौगात ।
किसने छेड़े आन कर , मन वीणा के तार ।
कौन अचानक बन गया , यादों का संसार ।
हम फूलों के संतरी , हम फूलों के यार ।
हमसे खिलता है सदा , फूलों का संसार ।
कदम बढ़ाए हिंद ने , अब मंगल की ओर ।
आज बहुत ही हर्ष है , आज बड़ी शुभ भोर ।
बच्चे सारे साथ हैं , बड़े बड़े सब दूर ।
बचपन फूल गुलाब का , यौवन पेड़ खजूर ।
गहरी पीड़ा प्रीत की , उथला साज सिंगार ।
भक्ती आंखों में सजे , होंठों झरता प्यार ।
किसका मन है कांच सा , किसके मन में खोट ।
ये बस वो ही जानता , जिसने खाई चोट ।
मैं प्रभात हूं चम्पई , तुम मदमाती शाम ।
तुम राधा मनभवनी , मैं तेरा घनश्याम ।