ताली बजा रहा है कोई
कोई बैठ हाथ मलता है
हर्ष-विषाद समन्वित जीवन
स्नेह-स्वांग सब हैं दिखलाते
लाभ-लोभ के रिश्ते-नाते
बाहर-बाहर छोह छलकता
भीतर-भीतर छल पलता है!
वांछित कब ,कितना होता है?
कदम-कदम पर समझौता है
जीभ मिलाती है हाँ में हाँ
मज़बूरी में जी जलता है !
झूठी क़सम ,वायदे झूठे
जुड़ने से पहले मन टूटे
अन्दर शून्य फैलता जाता
कल के लिए आज टलता है
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