गज़ल-शबनमी शोले वस्ल-ए- शबाब और क्या क्या

शबनमी शोले वस्ल-ए- शबाब और क्या क्या।

लचकती शाख पे ताजा गुलाब और क्या क्या।

जमाले रुख पे कातिल अदा नशीली नज़र

ज़मीं पे आगया है माहताब और क्या क्या।।

रेशमी जुल्फों की हवा है या बहिश्ते महक,

उस पर ये हया शफ़्फा़फ़े हिजाब और क्या क्या।

तुम आ रहे थे तो दिल ही बिछा दिया हमने,

चोट धड़कन की न लगे जनाब और क्या क्या।।

गज़ल कहूं या शुकून-ए- जिगर कहूं मैं ‘शेष’

दीये सी रौशनी हुश्नों शबाब और क्या क्या।।

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रचनाकार

Author

  • शेषमणि शर्मा 'शेष'

    पिता का नाम- श्री रामनाथ शर्मा, निवास- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। व्यवसाय- शिक्षक, बेसिक शिक्षा परिषद मीरजापुर उत्तर प्रदेश, लेखन विधा- हिन्दी कविता, गज़ल। लोकगीत गायन आकाशवाणी प्रयागराज उत्तर प्रदेश। Copyright@शेषमणि शर्मा 'शेष'/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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