मुसलसल गम मेरे हालात में है।
मैं तनहा नहीं जख्म साथ में है।।
ज़माने भर की दौलत फीकी लगे,
जो सुकूं वस्ल-ए-लम्हात में है।।
जरा फुर्सत मिले तो बात करूं,
अभी तो अश्कों की बरसात में हैं।।
पर्वतों को भी जमीदोज करें,
बहुत दम इश्क के जज्बात में है।
वो ग़लत है या सही क्या मतलब,
हमे तो मजा उसकी बात में है।।
बहुत ढूंढ़ा बहुत महसूस किया,
आप सा नहीं कायनात में है।
वैसे तो लोग दीया कहते हैं,
आप कह लो जो खयालात में है।।
मंजिलें रास्ता भी देती हैं शेष
बड़ी मुश्किल तो शुरुआत में हैं।।
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