गज़ल-ऐसा तो कुछ नहीं कि मर ही जाएं ख़ुशी से

ऐसा तो कुछ नहीं कि मर ही जाएं ख़ुशी से ।

औ ग़म भी गुज़रते नहीं हैं अपनी गली से ।

उस चाँद सी हँसी को ग्रहण जब से लगा है ।

हम भी नहीं हँसे हैं मेरे यार तभी से ।

पागल नहीं तो क्या हैं चलो तुम ही बता दो ।

पानी की बात करते हैं हम ख़ुश्क नदी से ।

क्यों सख़्त हो गये हैं तेरे बोल अचानक ।

क्यों होंठ लग रहे हैं तेरे नागफनी से ।

आंखों में एक चम्पई रेखा सी खिंची है ।

देखा है हमने जब भी तुम्हे बालकनी से ।

देखें कि नतीजे में हमे आज क्या मिले ।

आंखें तो चार कर रखी हैं सब्ज़ परी से ।

यूँ तो नहीं झुका कभी “कमलेश” कहीं पर ।

हारा है मगर रोज़ ही इस दिल की लगी से ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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