एक पत्थर और मारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
या कोई ख़ंजर निकालो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
है बदन छलनी मगर इन हौसलों में जान है ।
जाओ दुश्मन को बता दो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
मुस्कुराओ अपनी नज़रों से मुझे छू लो ज़रा ।
अश्क़ अपने मत बहाओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
मैं तुम्हे जज़्बात की ख़ुशबू से भर दूंगा अभी ।
क्यों तरसती हो निगाहो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
मर गया उनके लिये जो नफ़रतों की ज़द में हैं ।
तुम मुहब्बत से पुकारो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
और जो चाहो सज़ायें मुझको दे दो शौक़ से ।
मेरे अनजाने गुनाहो अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
जा के कह देना मेरी अम्मा से के मैं ठीक हूँ ।
ऐ मेरी माँ की दुआओ अब तलक़ ज़िंदा हूँ मैं ।
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