मजहब के रंग में रंगा हुआ जो पूरा देश है आज
तो कैसे सुधरेगे हालात
लूट के अपने देश की दौलत खुद बनते धनवान
तो कैसे सुधरेंगे हालात
सब्र धैर्य अब कहीं नहीं है सब में भरा है जोश
स्वार्थ भाव में लीन हुए सब कुंठित हो गई सोच
ईर्ष्या द्वेष भरी है सब में मन में भरा अभिमान
छद्म वेश भूषा को धारण करते हैं सब आज
अपने की ही फिक्र सभी को नहीं गैर का ध्यान
तो कैसे सुधरेगे हालात
राजनीति अब बनी तिजारत स्वार्थ भरा ही भाव
स्वार्थ पूर्ति के आगे अब तो नहीं है सेवा भाव
आज यहां तो रहे वहां कल नहीं है कोई ठाव
सदा बदलता स्वार्थ में ये मन गिरगिट की ही भाति
भोग विलास मे लिप्त सभी है अपने मे ही आज
राजनीति का खेल देश का करते बंटाधार
तो कैसे सुधरेगे हालात
छिपा के अपनी लूट की दौलत देते सबको ज्ञान
मन की बातें अपनी करते इन्हें समझ लो आज
मानवता क्या चीज यहां पर कोई समझ न पाए
उचित अनुचित का ज्ञान नहीं जो आज कोई अपनाये
खुद की तिजोरी लूट के जब हम बने हैं चौकीदार
तो कैसे सुधरेगे हालात
तेरा मेरा भाव छोड़ कर हम सब एक हो जाएं
गलत का साथ छोड़कर हरदम सत्य को ही अपनाएं
खुद ना करें ना करने दें जो गलत हो रहा आज
तो सुधरेंगे सारे हालात
रचनाकार
Author
गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |