किसान की पीड़ा

कड़कड़ाती ठंड में,जल से फसल सींचते है,

जब कार्य पूर्ण न हो,आराम नही वो करते है ।

मेरा शत शत प्रणाम, है अन्नदाता को,

जो मौसम की हर, मार को सहते है ।।

कभी सूखा झेलते तो,कभी बाढ़ से लड़ते है,

कभी इनके आंसू ,बेदर्दों को न दिखते हैं ।

न फसल के दाम, कभी वाजिब मिलते है,

सदा बिचौलियों के, हाथों ही लूटते है ।।

वो मरे जिएं ये किसको परवाह है,

वो सदा कुर्सी की चिंता करते है ।

कभी उतर कर सिंहासन से देखो,

किसलिए किसान खुदकुशी करते है ।।

ये धरती के वीर पुत्र है,धरती से प्यार करते है,

इसको अपनी मां कहते,इससे अन्न प्राप्त करते है ।

ये परिश्रम से फसल उगा कर,पेट सभी का भरते है,

सबको अन्न खिलाने वाले, क्यूं आखिर भूखे मरते हैं।।

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रचनाकार

Author

  • अनूप अंबर

    नाम : अनूप अंबर जन्म तिथि:01जनवरी 1991 पिता का नाम:राजेश कुमार पता: फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेशइनके नौ साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, पच्चीस अर्थलोगी प्रकाशित हो चुकी है, विभिन्न मंचों से 150 से अधिक सम्मान पत्र प्राप्त है, इनकी विभिन्न रचनाएं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है,ये कई साहित्य पटलों पर सक्रिय है ।। Copyright@अनूप अंबर / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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