किससे किसकी यारी है

किससे किसकी यारी है

दुनिया कारोबारी है !

जाल बिछा है, दाने हैं

दुबका वहीं शिकारी है !

मंचों पर जोकर काबिज

प्रहसन क्रमशः जारी है !

बुझे-बुझे खुद्दार लगें

दमक रहा दरबारी है !

सुख तो एक छलावा है

दुख की लम्बी पारी है !

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रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

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