कर्म कर फल की चिंता मत कर

कर्म कर फल की चिंता मत कर

कर्म कर फल की चिंता मत कर,

दृष्टि रख लक्ष्य पर,

आगे बढ़ने से मत डर,

बाधाओं से जुड़े, विपत्तिओ से परे,

मिलेंगे कई रास्तें अनेक राहों में घिरे ॥

विपत्तिओ को हरा कर,बाधाओं से लड़ कर !

जीवन में बढ़ो हमेशा

ना भय के साथ, ना डगमगा’ कर ॥

दो चीजें हैं, अनमोल,

आत्मविश्वास और साहस के बोल|

जीवन में आगे बढ़ने के लिए,

करने होगें हमें अनेक रोल,

इसे समझों ना बेमोल|

ईर्ष्या, द्वेष, लालच, क्लेश,

ये सभी अवगुण व्यक्तियों के वेश |

अच्छे गुणों को अपनाकर,

साकारात्मक सोच पाकर,

जीवन में बढो हमेशा,

अवगुण बुराइयों को हराकर|

किसी महान व्यक्ति ने कहा हैं ठिक,

लगती है उनकी बातें अब निक ,

कि दृष्टि रख लक्ष्य पर आगे बढ़ने से मत डर,

बस कर्म कर, पर फल की चिंता मत कर||

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रचनाकार

Author

  • Dr. Shivangi shri

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