विस्तृत लिखना भले कठिन हो
कम लिखना तो बहुत कठिन है
भाव उजागर हो जाए मन का
शब्द पिरोना बहुत कठिन है
भरा हो शब्दों में भाव जितना
उसे समझना बहुत कठिन है
उमड़ रही भावना हृदय की
पटल पर लाना बहुत कठिन है
लिखा है वेद रिचाओ में जो
परख सर्जना बहुत कठिन है
सकल चराचर में जो समाये
उन्हें दिखाना बहुत कठिन है
परंपरा जो बनी है जग में
संजोए रखना बहुत कठिन है
बिन मौसम वसंत ऋतु आए
भाव जगाना बहुत कठिन है
बदल ही जाता समय समय पर
समय बदलना बहुत कठिन है
जो रख हथेली पे सच को बोले
फरिश्ता मिलना बहुत कठिन है
जो राह सच के ही द्वार जाए
ओ राह चलना बहुत कठिन है
भले ही देखे हो आंख से पर
जुबां खोलना बहुत कठिन है
धनो में डूबा है रात दिन जो
निभाना रिश्ता बहुत कठिन है
आंसू पी लेना भले सरल हो
पीकर मुस्काना बहुत कठिन है
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