एक ऐसा घर बन जाए मेरा

एक ऐसा घर बन जाए मेरा
जिसमें सब का ठिकाना हो
एक तरफ दुकान हो मेरी
सामने मेरे शिवाला हो
प्रेम मिले सबका ही मुझको
अहंकार ना उपजा हो
कभी बंद ना हो पट जिसका
सदा खुला ही द्वारा हो
जो भी आए घर पर मेरे
जान से भी वह प्यारा हो
हरदम पास रहे मेरे
फिर दूर कभी ना जाना हो
सुख दुख मै सबका समझू
सब से मेरा रिश्ता हो
सहयोग करू मैं नित ही सबका
अपना या बेगाना हो
संतोष मिले दिल को मेरे
मन में लालच कपट ना हो
मिट्टी का ही घर हो लेकिन
चैन से जिसमें सोना हो
सदा पास ही रहूं मैं शिव के
शिव से मेरा नाता हो
शिव पर करके पूरा भरोसा
होता मेरा गुजारा हो
जिस घर में सदा वास हो शिव का
वही पे मेरा ठिकाना हो
शरण में शिव के रहकर जीवन
सदा ही अपना बिताना हो
रोज बसंती पवन चले
चारों ओर खुशी का नजारा हो
जिधर भी देखू शिव ही शिव का
चारों ओर नजारा हो

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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